Ammi Ki Pyaas Bujhaai – Muslim Sex Stories

एक दिन की बात है मैं अचानक पुणे से लौट आया। दिन के करीब 10/11 बजे होंगे, मैं सीधे अपने कमरे में चला गया। अब्बू काम पे जा चुके थे। मैं फ्रेश होने के लिए बाथरूम की तरह बढ़ा, बाथरूम का दरवाजा बंद देखकर मैं समझ गया कि अम्मी अंदर है। मेरे आदमी का शैतान सेक्सोलॉजी की पढ़ाई करना चाहता था, मैं बाथरूम के पास गया और दरवाजे के छेद से अंदर देखा, अल्लाह कसम जो अंदर देखा उस से दिमाग का फ्यूज उड़ गया। अम्मी पूरी नंगी बैठी थी और नहा रही थी। अम्मी की गांड मेरी तरफ थी और क्या गजब लग रही थी पीछे से, ऐसा लगा कि अम्मी नहीं बाली कोई 20/21 साल की लौंडिया है अंदर। मेरी अम्मी, नफीसा खातून कोई खूबसूरत औरत तो नहीं है पर 41 की होने के बाद भी 32-35 साल की लगती है। अब्बू की ये तीसरी बीवी है, इसलिए अब्बू 59 साल के होने की वजह से अपनी बीवी को ज्यादा टाइम नहीं दे पाते हैं और जायदाद फैक्ट्री में ही अपना वक्त बीतता है। अम्मी-जान को देखकर लगता है कि वो सेक्सुअली बिल्कुल खुश नहीं है। मैंने कई बार उनकी इस तड़प को भाप लिया था और सैयद वो भी समझ गए थे कि उनका बेटा अब जवान हो रहा है। पर अम्मी ने कभी भी अपनी तड़प को ज़ाहिर नहीं होने दिया।

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मैं वहां से अपने कमरे में चला आया और अम्मी के नंगे बदन की सोच में डूबा रहा। उनकी गांड की तस्वीर बार-बार मेरे ज़हन में आ रही थी। मैंने अम्मी का सोचकर 3 बार मुठ मारी। थोड़ी देर बाद अम्मी मेरे कमरे में आ गईं।
अम्मी: अरे फ़ैज़ तुम कब आए?
मैं: थोड़ी देर पहले ही आया हूँ। अम्मी: चलो नहा धो लो मैं खाना लगा देती हूँ….चलो उठो….

अम्मी: हाँ बस उठ ही रहा हूँ अम्मी-जान….अब मैं इस हफ़्ते यहीं रहूँगा।

अम्मी: क्यों कॉलेज की छुट्टियाँ हैं क्या?

अम्मी: नहीं अम्मी, लेकिन कॉलेज में कुछ खास भी नहीं हो रहा है और हॉस्टल का खाना खाकर मैं पक गया हूँ, सोच रहा हूँ कि थोड़े दिन घर का खाना खाऊँ……

अम्मी: ठीक है बेटा मैं तेरे लिए रोज़ अच्छा खाना बनाऊँगी नहा के बाज़ार जाकर बिरयानी ले आ तू।

अम्मी: ठीक है बेटा मैं तेरे लिए रोज़ अच्छा खाना बनाऊँगी नहा के बाज़ार जाकर बिरयानी ले आ तू। मैं: ठीक है अम्मी……
मैं नाह के बाज़ार चला गया और वहाँ से बिरयानी ले आया। घर आ के उस दिन मैं बस अम्मी के बारे में ही सोचता रहा। अम्मी को छोड़ने का मनसूबा अब मेरे ज़ेहन में फेल रहा था। मैं रात भर सोचता रहा कि मुझे मौका कैसे मिले और मैं अम्मी की चूत को छोड़ दूँ…..इस तरह पूरे हफ़्ते में अम्मी को नहाते हुए बाथरूम की छेद में से देखता रहा। फिर मैं सोमवार को वापस पुणे के लिए चला गया। अगले एक महीने में घर नहीं गया। बस अम्मी-अब्बू से फ़ोन पर ही बात कर लिया करता। मेरी अम्मी नफीसा चुदाई से पहले
हॉस्टल में एक दिन सब दोस्तों ने मिल के ब्लू-फिल्म देखने का प्लान बनाया। हमने बीयर, सिगरेट के सात 5-6 ब्लू फिल्म की CD भी ले ली और रात को सब दोस्त मिल के देखने लगे। सबने शराब पी रखी थी और सिगरेट के सात ब्लू-फिल्म देखने में लगे थे….उस फिल्म में दिखा रहे थे कि किस तरह एक लड़का अपनी माँ को अलग-अलग तरीके से छोड़ रहा है। यह देखकर मेरा मन फिर से अम्मी को चोदने लगा और मैंने सोच लिया कि इस बार अम्मी को पता लूंगा और चुदाई का मज़ा लूंगा।

एड की छुट्टियों में मैं वापस मुंबई आ गया। अम्मी मुझे देखकर के बोट खुश हो रही थी। पर मेरी नज़र उनके लिए अब बदल चुकी थी। रात को जब अम्मी मेरे लिए खाना ले आईं तो वो गज़ब लग रही थी। मैंने उनकी चूचियों की तरफ देखा तो मेरा लंड खड़ा हो गया और पजामे में ही टाइट हो गया। अम्मी ने आज लाल रंग का सूट पहन रखा था और उनकी गांड बोट हल्की लग रही थी। दो दिन बाद “एड” थी और हमने एड की पूरी तैयारी कर रखी थी। एड का नमाज़ पढ़ कर मैं जल्दी घर आ गया, अब्बा अभी तक नहीं आए थे। मैंने अंदर आ के आमी को गले से लगा के एड की बधाई दी…..उनकी टाइट चूचियां मेरी छाती से दब गईं….मेरा लंड पजामे से बाहर निकलने को बेताब हो रहा था। मैंने अम्मी को पकड़ कर रखा। अम्मी बोली अरे फैज क्या बात है अम्मी पे कुछ ज्यादा ही प्यार आ रहा है…
माई: अम्मी मैं कुछ मांगना चाटती हूँ आप से?
अम्मी: हाँ बोल ना क्या चाहिए तुझे?

मैं: हिचकी लेते हुए…आम्मी….अम्मी….मैं आपको छोड़ना चाहती हूँ..
अम्मी: क्या बक रहे हो….जानते भी हो कि क्या बोल रहे हो तुम?
अम्मी फैज़ का लंड चूसती हुई
मैं: थोड़ा घबरा गया…फिर अपने आपको संभालते हुए मैंने कहा…. मैंने क्या गलत कहा है अम्मी? इस्लाम में तो अब्बा अपनी बेटी को छोड़ सकता है क्योंकि, फूल पर पहला हक उसे खिलाने वाले माल का होता है तो….मुस्लिम औरतों से ये ना इंसाफी क्यों?? मैं भी तो आपका फूल हूँ…..
अम्मी: मैं हमेशा अल्लाह…से डरती रही हूँ….मैं नहीं जानती तुम क्या बोल रहे हो पर ये गुनाह है और मुझे जीना करना कटाई पसंद नहीं है समझे तुम………
ये बोल कर अम्मी वहां से चली गईं…मैं भी घर से बाहर आ गया अपने दोस्तों के पास एड की मुबारक बाद देने को…..लेकिन मेरा दिमाग तो वही लगा हुआ था। मुझे एक तरफ दर लग रहा था कि अब क्या होगा लेकिन दूसरी तरफ अच्छा भी लग रहा था कि आज मैं अपनी अम्मी-जान से खुल गया हूँ। हर मुस्लिम लड़के की ज़िंदगी में ये दिन कभी ना कभी तो आता ही है जब वो अपनी अम्मी के साथ खुल जाते हैं। क्योंकि इस्लाम इसकी आज़ादी देता है। मैंने सोच लिया था कि अब आगे क्या करना है। रात में घर वापस आया तो देखा अम्मी रसोई में है। अब्बू अभी तक नहीं आए थे। अम्मी ने मेरी तरफ देखा पर उनकी आँखों में जो बात थी वो मैं बयान नहीं कर सकता। अम्मी जन्नत की हूर लग रही थी। मैंने हिम्मत करके पूछा कि अम्मी अब्बू कहाँ हैं? अम्मी ने जवाब दिया कि उनका फोन आया था, कहाँ है कि कल सुबह आएंगे। फिर मैं अपने कमरे में चला गया। अम्मी सेवई ले के आए और कहाँ ले खा ले। उनको देख के लग नहीं रहा था कि वो गुस्से में है। मैंने खाना खाया और फिर नहा कर सोने चला गया।

अम्मी-जान मेरा लंड मज़े से चाटी और चुस्ती हुई।
नींद किसे आती है आज की रात। रात करीब 1.30 बजे अम्मी मेरे कमरे में आ गए।
माई: क्या बात है अम्मी?
अम्मी: नींद नहीं आ रही है

माई: आ जाओ मेरे पास बैठ जाओ मुँह भी नींद नहीं आ रही है। अम्मी मेरे पास आ कर ले गए, मैं अम्मी की तरफ घूम गया और अचानक अम्मी के हाथ को पकड़ लिया। अम्मी ने मेरा हाथ थाम लिया और आँखें बंद कर ली। बस फिर क्या था मुझे मौका मिल गया। मैंने तुरंत अपना दूसरा हाथ अम्मी की बाईं चूची पर रख दिया। अम्मी ने सिसकारी लेना शुरू कर दिया। मैंने धीरे-धीरे अम्मी की चूची को दबाना शुरू किया, अम्मी की साँसें तेज़ होने लगी थीं। फिर मैंने अपने हाथ अम्मी की दोनों टांगों के बीच रख दिया और ज़ोर से दबा दिया…आआह क्या कर रहा है फ़ैज़??? ये ठीक नहीं है ऐसा मत कर अल्लाह के लिए ऐसा मत कर…. मैंने कहा अम्मी, अब कैसी शरम किसी ने मुझसे तुम्हारा तो मुझ पर हक बनता है।


हाँ मैं जानती हूँ बेटा पर डरती थी कि क्या होगा? मैंने कहा कि डरो मत अम्मी-जान बेस अब अल्लाह ने खिदमत का मौका दिया है इसे ले लो…. फिर मैंने अम्मी की सलवार को खोल कर अलग कर दिया। मुझे बालानी हुई जब देखा कि अम्मी ने पैंटी नहीं पहनी थी। उनकी चूत पर घने बाल थे।
मैं: क्या बात है अम्मी चूत के बाल कटी नहीं हो क्या? फैज़ अपनी अम्मी की चूत चाट रहा है।
अम्मी: नहीं बेटा आज कल नहीं काटती हूँ…..जब से तेरे अब्बा ने चोदना बंद किया है मैंने नहीं काटा।
माई: अब्बू ने कब से नहीं छोड़ा है तुझे नफीसा? मैंने अम्मी को नाम से पुकारा।
अम्मी: आह…. एक साल होने को आया है फैज़….उनको मेरी शिकायत नहीं है। उनमें अब गूंगा ही कहाँ रहा है। मैं तो कब से जवान लंड की तलाश में थी।
माई: अरे मेरी बेगम भूल जा उस खूसट बूढ़े को…..मैं हूँ ना तेरी प्यास बुझाने के लिए। अम्मी: फ़ैज़ बेटा ले ले मुझे अपने लंड के लेट….मैं तेरी हूँ राजा….चोद डाल अपनी अम्मी को।

मैं: रुक जा रांड आज ऐसा चोदूंगा कि तेरी साली चूत फट जाएगी।

मैंने नफ़ीसा को नंगा कर दिया और खुद भी पूरा नंगा हो गया। बिस्तर पर अम्मी को पटक कर जैसे ही मैंने अम्मी की 9 चूत में अपनी जीभ डाली तो अम्मी गांड गाना उठी…आह्ह्ह…आह्ह्ह..उम्म्म……मैंने अम्मी की चूत का पानी पीना शुरू कर दिया। और उंगली गांड में डाल दी। हायईईई…….हायईईई…छोड़ डाल अपनी अम्मी को मादरचोद चोद मुझे छुहूऊऊऊद्द्ड्ड्ड्ड्ड्ड नाआआआआआआ……उउउउउम्ममम….ह्ह्ह्हाआआआआ.. अम्मी बुरी तरह से चुदवाना छठी थी। अम्मी गालियां देने लगी तो मेरा भी जोश बढ़ गया। अबे हराम की औलाद खाली चाटता ही रहेगा कि छोड़ेगा भी मादरचोद। हाय मेरी रंडी चाटूंगा भी और चोदूंगा भी…साली कब से तेरा सोहर बन ने को तैयार बैठा था मैं।

नफीसा की चूत में उंगली करते हुए फैज
मैंने अपना लंड अम्मी-जान के मुंह में दे दिया। कुतिया ऐसे चूस रही थी जैसे बच्चे आइसक्रीम को चूसते हैं। ले रांड और ले….. हाआ भड़ुए हाआ आज जी भर के चुदूंगी मैं…. तेरा अब्बा साला नमर्द मुझे चोद नहीं पता है तू चोद डाल हारी की औलाद। अम्मी को सीधा पटक कर लंड को चूत के मुंह पे लगा दिया और मैंने रगड़ने लगा चूत पर लंड को… उउउउइइइइइ……ह्ह्ह्ह्ह्ह्हम्म्म्मम्म्म्म…..हिइइइइइइइइ आआआअल्ल्ल्लल्लाह्हह्ह मज़ा आ गया। मज़ा आ रहा है ने नफीसा जान…हाहाहा मेरे चूत के मालिक अब बर्दाश्त नहीं होता, छोड़ डाल मुझे, छोड़ डाल अपनी अम्मी को… मैंने जोर का धक्का लगाया और मेरा 6 इंच का लंड अम्मी की चूत के जड़ से जा टकराया… ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…मर गई मैं… उउउम्मम्मम… ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… अल्लाह… छोड़ो मुझे छोड़ो मुझे…। अपनी अम्मी को रंडी बना के चोद डाल फैज चोद डाल मुझे…..ह्म्म्म्म….हायिइ…आआआह्ह्ह.. आह्ह.आह्ह…चुत पानी ऐसे चोद रहा था जैसे बरसात में पाइप से पानी निकलता है….. चुप..चोप…की आवाज से करमा गूंज उठा… अम्मी की आंखें बंद थी…. वो अपने बेटे से चुदाई का मजा ले रही थी। थोकुल रांड लग रही थी मेरी अम्मी।
फैज अम्मी-जान की चुदाई करते हुए
मैंने अपना माल अम्मी की चुत में ही निकाला…..ह्ह्ह्हाआआआ…..

अम्मी: चोद डाल अपनी अम्मी को मादरचोद…..फाट डाल मेरी गांड को आज। चोद ले अपनी अम्मी को।
फैज़, अम्मी की गांड मारते हुए।
माई: हाँ रांड ले चू.. ले चुद …ले चुद..और मेल उन की रफ़्तार को अम्मी की गांड में बढ़ता गया…..
अम्मी: ह्म्म्म्म…….आआआआह्ह्ह….अल्लाहह्हा….हाय अल्लाह….चोद…चोद…चोद….चोद डाल हराम के जाने चोद इस नफीसा को….
माई: ले चुद ना…. चुद गए रांड फट गए गांड……. चुद गए रांड फट गए गांड…
…. चुद गए रांड फट गए गांड…बोलता रहा और अम्मी मेरी गालियों का मज़ा लेती रही..
उस दिन रात को मैंने अम्मी-जान को 4 बार चोदा। अम्मी की चूत और
फैज़ के लंड का माल अम्मी नफीसा की चूत पर
मेरा लंड बिल्कुल लाल हो चुका है…उस दिन के बाद मैं रोज़ अम्मी को छोड़ता हूँ। जब अब्बा नहीं होते तो हम दोनों एक दूसरे को नाम से बुलाते हैं, जाई सोहर-बीवी हो। अम्मी मुझसे छू के बोट खुश होती है। मैं पिछले 3 महीने से उनकी चूत मार रहा हूँ…मैं आप सब मुस्लिम भाइयों को बताना चाहता हूँ कि अपनी “अम्मी” को चोदने में जो मज़ा है वो अपनी आपा को चोदने में नहीं है। वैसे भी घर की बात घर ने ही रहती है और इस्लाम में औरतें छोड़ने के लिए ही तो बनी है। आप सब अपनी अम्मी को पता ले और उनको छोड़कर मज़ा ले यही मैं अल्लाह से दुआ करूँगा